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ऐसौ दान माँगियै नहिं जो, हमपै दियौ न जाइ।

राग काफी

ऐसौ दान माँगियै नहिं जो, हमपै दियौ न जाइ।

बन मैं पाइ अकेली जुवतिनि, मारग रोकत धाइ।।

घाट बाट औघट जमुना-तट, बातैं कहत बनाइ।

कोऊ ऐसौ दान लेत है, कौनें पठए सिखाइ।।

हम जानतिं तुम यौं नहिं रैहौ, रहिहौ गारी खाइ।

जो रस चाहौ सो रस नाहीं, गोरस पियौ अघाइ।।

औरनि सौं लै लीजै मोहन, तब हम देहिं बुलाइ।

सूर स्‍याम कत करत अचगरी, हम सौं कुंवर कन्‍हाइ।।


 
 
 

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