top of page
Search

ये पांच तत्व पुष्टि मार्ग के।

ये पांच तत्व पुष्टि मार्ग के।


अग्नि--श्रीवल्लभ प्रभु

जल----श्रीयमुनाजी

वायु----अष्टसखा

पृथ्वी----श्रीगिरीराजजी

आकश---श्रीसुबोधिनीजी

हर जीव की उत्पत्ती पंच महाभूतों से है।अग्नि,जल,वायु,,पृथ्वी,आकाश,

मगर हम पुष्टि मार्ग के पांण तत्व के पंच मूल रुप से सिंचित करें तो पूर्ण पुरुषोत्तम से ब्रह्म संबंध पाये़ं।


मैने कभी बडेन सू सुनी थी कि पांच तत्व सू बन्यो अपनो ये शरीर ...

अग्नि--श्रीवल्लभाधीश के हम वंशज अग्निकुल हैं तातें अग्नि तत्व जो तापात्मक विरह हमारे भावों सू हमारे भीतर स्थित है।वो अग्नि तत्व।

जल--श्रीयमुनाजी जो भाव के दाता हैं (श्रीयमुना सी नांही और कौइ दाता)भाव बिना सेवा क्रियात्मक...और श्रीयमुनाजी सकल सिध्धी के दाता हैं ऐसे (जलतत्व)श्रीयमुनाजी वाणीरुप सू हमारे भीतर स्थित हैं।वाणी रसरुप है सो जल तत्व है।

वायु--श्रीअष्टसखा जो निरंतर समस्त लीलाओं को गुणगान करते हैं।जब वाणी खुलती है तो वायु (हवा)मिश्रीत होके ही आती है।सो वायु तत्व अष्टसखाओं के किर्तनो के रुप मेहमारे भीतर स्थित हैं

पृथ्वीतत्व--श्रीगिरीराजजी यानि देवे मे तटस्थ...पृथ्वीतत्व हमारो अंग रुप जो मिट्टी को बन्यो है।परंतु "महाभूत"होवे सू सदा सेवा मे तटस्थ रहतो है।

आकाश---व्यापक है यासू श्रीवल्लभप्रभु कृपा करके हमको सुबोधिनीजी पधराय के लीलाकाश को सू पूरित कियो है।ताकि हम प्रभुन की लीला की थाह ना पा सकें।और जैसे श्रीवल्लभप्रभु "नेति नेति"कहत हैं तैसे ही हम प्रभुन की लीलाकाश कू हमारे भीतर पायें....ताकि भीतर और बाहर कीनेति नेति को अंतर समझें।


श्रीवल्लभाधीश की जय।

ree

 
 
 

Comments


© 2020 by Pushti Saaj Shringar.

bottom of page