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व्रज- अधिक श्रावण शुक्ल एकादशी(प्रथम)

व्रज- अधिक श्रावण शुक्ल एकादशी(प्रथम)

Friday, 11 August 2023

आज एकादशी तिथि है परंतु तिथि वृद्धि के कारण कमला एकादशी व्रत कल शनिवार, 12 अगस्त 2023 को होगा.

लाल पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर लाल छज्जेदार पाग पर सादी मोर चंद्रिका के शृंगार

आज के मनोरथ-

प्रातः खेलत फाग लाल रंग भीने

शाम को लाल बने रंग भीने गिरधर

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : सारंग)

कुंजभवन तें निकसे माधो राधापे चले मेलि गले बांह l

जब प्यारी अरसाय पियासो मंदमंद त्यों स्वेदकन वदन निहारत करत मुकुटकी छांह ll 1 ll

श्रमित जान पटपीत छोरसों पवन ढुरावे व्रजवधु वनमांह l

‘जगन्नाथ कविराय’ प्रभुको प्यारी देखत नयन सिराह ll 2 ll

साज - आज श्रीजी में हाथी के ऊपर सवारी, पृष्ठभूमि में महल, व्रजभक्तों के साथ होली खेल आदि के चित्रांकन वाली सुन्दर पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज लाल रंग की मलमल का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र पतंगी रंग के होते हैं. वस्त्र एवम् ठाड़े वस्त्र सफ़ेद अबीर एवं श्याम चूवा की टिपकियों के भरतकाम से सुसज्जित होते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज वनमाला (चरणारविन्द तक) का भारी श्रृंगार धराया जाता है. मोती, सोना माणक, पन्ना के मिलमा आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर लाल रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में माणक के दो जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.

रंग-बिरंगी पुष्पों की दो मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में एक कमल की कमलछड़ी, सोना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट लाल गोटी चाँदी की आती है.

 
 
 

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