व्रज -अधिक श्रावण शुक्ल तृतीया (द्वितीय)
- Reshma Chinai
- Jul 21, 2023
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व्रज -अधिक श्रावण शुक्ल तृतीया (द्वितीय)
Friday, 21 July 2023
गुलाबी मलमल का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर ग्वाल पगा पर पगा चंद्रिका (मोरशिखा) के शृंगार
आज के मनोरथ-
राजभोग में शीशम का बंगला
शाम को साज का हिंडोला
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : मल्हार)
कारे कारे बदरा देस देस ते उलरे श्याम बरन सब रुख भयो l
मनो हो मदन मिल्यो मदन मोहन सों करत ओट महा सघन तिमिर के बासन ननरो ll 1 ll
मोरन की सोर अति पिक को पपैया कुहूकात नुपूर धुन अलसे धूनतयो l
‘धोंधी’ के प्रभु बोली चली तहां जहाँ पातन की सेज करी पातन छयो ll 2 ll
साज – श्रीजी में आज गुलाबी रंग की मलमल पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज गुलाबी मलमल का रूपहरी किनारी का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के होते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज छेड़ान का श्रृंगार धराया जाता है. पन्ना के के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग के ग्वालपाग (पगा) के ऊपर मोती की लड़, सुनहरी चमक (जमाव) की चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में लोलकबिंदी (लड़ वाले) कर्णफूल धराये जाते हैं.
आज कमल के फूल की माला धरायी जाती हैं.
श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी व कमल के पुष्प की मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में एक कमल की कमलछड़ी, गुलाबी मीना के वेणुजी एवं दो (एक सोना का) वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट गुलाबी व गोटी बाघ बकरी की आती हैं.
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