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व्रज -अधिक श्रावण शुक्ल तृतीया (प्रथम)

व्रज -अधिक श्रावण शुक्ल तृतीया (प्रथम)

Thursday, 20 July 2023

हरे एवं सफ़ेद रंग के लहरिया का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक फेटा का साज के श्रृंगार

आज के मनोरथ-

राजभोग में पल्लव की मंडली

शाम को गणगौर

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : आशावरी)

गावो गावो मंगलचार वधावो नंदके l

आवो आँगन कलश साजिके दधिफूल नूतन डार ll 1 ll

उरसों उर मिलि नंदराय गोप सबै निहार l

मागध सुत बंदीजन मिलिके द्वार करत उच्चार ll 2 ll

पायो पूरन आसकरि सब मिलि देत असीस l

नंदरायको कुंवर लाडिलो जीओ कोटि बरीस ll 3 ll

तब व्रजराज आनंद मगन दीने बसन मंगाय l

ऐसी शोभा देखिके जन ‘सूरदास’ बलि जाय ll 4 ll

साज – श्रीजी में आज हरे एवं श्वेत रंग के लहरिया की सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.

चरणचौकी, पडघा, बंटा आदि जड़ाव स्वर्ण के होते हैं. चांदी के पडघा के ऊपर माटी के कुंजे में शीतल सुगन्धित जल भरा होता है. दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं. सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं.

वस्त्र – श्रीजी को आज हरे एवं श्वेत रंग के लहरिया का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के होते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज छेड़ान का (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. माणक के सर्व आभरण धराये जाते हैं. कमल माला धरायी जाती है.

श्रीमस्तक पर फेंटा का साज धराया जाता है. हरे सफ़ेद लहरियाँ के फेंटा के ऊपर सिरपैंच, श्वेत रेशम की मोरशिखा, कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में लोलकबंदी-लड़वाले कर्णफूल धराये जाते हैं. पुष्पों की रंग-बिरंगी थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.


पट हरा व गोटी बाघ बकरी की आती है.

 
 
 

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