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व्रज – आश्विन कृष्ण पंचमी

व्रज – आश्विन कृष्ण पंचमी

Sunday, 22 September 2024


हो वारी इन वल्लभीयन पर,

मेरे तन को करों बिछौना,

सिस घरों इन के चरनन पर।

भाव भरी देखो इन अँखियन,

मंडल मद्य बिराजत गिरिधर।

ये तो मेरे प्राणजीवन धन,

दान दिये है श्रीवल्लभवर।

पुष्टिमार्ग प्रकट करिबे को ,

प्रकटे श्रीविठ्ठल द्विज - वपु धर।

दास 'रसिक 'बलैया लै लै,

वल्लभीयन की चरणरज अनुसर।


पुष्टिमार्गीय वैष्णवों के मध्य श्रीजी के दर्शन कर के उनके लिए मन में उपरोक्त भाव भावना वाले महाप्रभु श्री हरिरायजी के प्राकट्योंत्सव की ख़ूब ख़ूब बधाई


नित्यलीलास्थ गौस्वामी श्री हरिरायजी (1647) का उत्सव


विशेष – आज नित्यलीलास्थ गौस्वामी श्री हरिरायजी का उत्सव है.


आज श्रीजी को दान का चौथा मुकुट-काछनी का श्रृंगार धराया जायेगा.


आज श्रृंगार दर्शन में प्रभु के बड़ी डांडी का कमल धराया जाता है.


श्रीजी को आज गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में विशेष रूप से मनोहर (इलायची-जलेबी) के लड्डू अरोगाये जाते हैं.

आज दानगढ़-मानगढ़ का मनोरथ होता है, सांकरी खोर के महादान का भाव भी है इसलिए गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में दान की शाकघर व दूधघर में सिद्ध विशिष्ट हांडियां अरोगायी जाती है.


आज श्रृंगार से राजभोग तक श्री हरिरायजी द्वारा रचित 35 पदों की बड़ी दानलीला एवं सायंकाल सांझी के विशेष कीर्तन भी गाये जाते हैं. (अन्य पोस्ट में)

मणिकोठा में पुष्पों की सांझी भी मांडी जाती है जिसके पुष्प द्वितीय गृहाधीश्वर प्रभु श्री विट्ठलनाथजी के मंदिर से आते हैं.


राजभोग दर्शन –


साज – श्रीजी में आज प्रभु को गौरस अरोगाने पधारीं मुग्ध भाव की व्रजभक्त गोपियों के अद्भुत चित्रांकन से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज केसरी रंग की मलमल पर रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, काछनी तथा रास-पटका धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र श्वेत भांतवार धराये जाते हैं.


श्रृंगार – आज प्रभु को वनमाला (चरणारविन्द तक) का भारी श्रृंगार धराया जाता है. मिलवा – हीरे व माणक के आभरण धराये जाते हैं.

कली, कस्तूरी व वैजयंती माला धरायी जाती है.

श्रीमस्तक पर स्वर्ण का श्रीगोकुलनाथजी के हीरे-जड़ित टोपी, मुकुट और मुकुट पर मुकुट पिताम्बर एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में मानक के मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं.

श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, सोने के पक्षी वाले वेणुजी दो वेत्रजी धराये जाते हैं.


पट केसरी व गोटी दान की आती है.

 
 
 

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