व्रज - आषाढ़ कृष्ण सप्तमी
- Reshma Chinai
- Jun 18
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व्रज - आषाढ़ कृष्ण सप्तमी
Wednesday, 18 June 2025
शरबती मलमल के धोती पटका एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर तुर्रा के शृंगार, ऊष्णकाल का पंचम अभ्यंग
विशेष - आज श्रीजी में ऊष्णकाल का पंचम अभ्यंग होगा. ऊष्णकाल के ज्येष्ठ और आषाढ़ मास में श्रीजी में नियम के पाँच अभ्यंग स्नान और तीन शीतल जल स्नान होते हैं. यह आठों स्नान ऊष्ण से श्रमित प्रभु के सुखार्थ होते हैं.
अभ्यंग स्नान प्रातः मंगला उपरांत और शीतल जल स्नान संध्या-आरती के उपरांत होते हैं.
अभ्यंग स्नान में प्रभु को चंदन, आवंला एवं फुलेल (सुगन्धित तेल) से अभ्यंग (स्नान) कराया जाता है जबकि शीतल स्नान में प्रभु को बरास और गुलाब जल मिश्रित सुगन्धित शीतल जल से स्नान कराया जाता है.
जिस दिन अभ्यंग हो उस दिन अमुमन चितराम (चित्रांकन) की कमल के फूल की या निकुंज की पिछवाई धराई जाती है एवं गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में श्रीजी को सतुवा के लड्डू अरोगाये जाते हैं.
जिस दिन अभ्यंग हो उस दिन शयन समय श्री नवनीतप्रियाजी से सखड़ी सामग्री पतलानेग (मीठा-रोटी, दहीभात, घुला हुआ सतुवा इत्यादि )श्रीजी में पधारती है.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)
आज धरी गिरधर पिय धोती
अति झीनी अरगजा भीनी पीतांबर घन दामिनी जोती ll 1 ll
टेढ़ी पाग भृकुटी छबि राजत श्याम अंग अद्भुत छबि छाई l
मुक्तामाल फूली वनराई, 'परमानंद' प्रभु सब सुखदाई ll 2 ll
साज - आज श्रीजी में सफ़ेद रंग के मलमल पर कमल के चित्रांकन से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – आज श्रीजी को शरबती रंग की मलमल पर रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित धोती एवं राजशाही पटका धराया जाता है.
श्रृंगार – प्रभु को आज मध्य का (घुटने तक) ऊष्णकालीन मध्यम श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर शरबती रंग की गोल पाग के ऊपर मोती की लड़, तुर्रा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, झीनें लहरियाँ के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं. पट ऊष्णकाल का व गोटी हकीक की छोटी आती है.
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