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व्रज – कार्तिक कृष्ण तृतीया

व्रज – कार्तिक कृष्ण तृतीया

Wednesday, 12 October 2022

पीत दुमालो बन्यो,कंठ मोतीनकी माला ।

सुंदर सुभग शरीर,झलमले नयन विशाला ।।

पीत दुमाला के शृंगार

विशेष – आज श्रीजी को अन्नकुट पर गोवर्धन लीला के अन्तर्गत गाए जाने वाले ‘अपने अपने टोल क़हत ब्रिजवासिया’ के उपरोक्त पद के आधार पर पीत दुमाला का श्रृंगार धराया जाता है. जिसमें प्रभु को श्रीमस्तक पर पीले मलमल का बीच का दुमाला, पटका व तनिया धराया जाता है.

वस्त्र व आभरण ऐच्छिक होते हैं प्रभु को आज के दिन पीले रंग का दुमाला धराया जाता है और आसमानी ज़री के चाकदार वागा धराये जायेंगे.

गोवर्धन पूजा के पद गाये जाते हैं.

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : सारंग)

सुनिये तात हमारो मतो श्रीगोवर्धन पूजा कीजे l

जो तुम यज्ञ रच्यो सुरपति को सोई याहि दे दीजे ll 1 ll

कंदमूल फल पहोपनकी निधि जो मागे सो पावे l

यह गिरी वास हमारो निशदिन निर्भय गाय चरावे ll 2 ll...अपूर्ण

साज – आज श्रीजी में लाल रंग के हांशिया वाली श्याम मलमल की पिछवाई धरायी जाती है. जिसमें गायों का चित्रांकन किया गया है. ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे श्रीजी गायों के मध्य विराजित हों. गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – आज श्रीजी को आसमानी ज़री का सूथन, चोली एवं चाकदार वागा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र लाल दरियाई वस्त्र के धराये जाते हैं.

श्रृंगार – आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्री मस्तक पर पीले मलमल का बीच का दुमाला मोर चन्द्रिका, एक कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.

श्रीकर्ण में लोलकबंदी लड़ तथा झुमकी वाले कर्णफूल धराये जाते हैं.

कमल माला धराई जाती हैं.

सफेद एवं पीले पुष्पों की दो मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, चांदी के वेणुजी एवं दो वैत्रजी धराये जाते हैं.

पट चांदी का व गोटी बाघ-बकरी की आती है.आरसी नित्य की दिखाई जाती हैं.


संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के आभरण बड़े कर छेड़ान के आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर बीच का दुमाला ही रहता है और लूम तुर्रा नहीं धराये जाते.

 
 
 

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