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व्रज – कार्तिक कृष्ण पंचमी (चतुर्थी क्षय)

व्रज – कार्तिक कृष्ण पंचमी (चतुर्थी क्षय)

Monday, 21 October 2024


दीपावली पूर्व का अभ्यंग एवं अभ्यंग का शृंगार


विशेष – दीपोत्सव के पूर्व के नियत श्रृंगारों के मध्य इस पखवाड़े में एक बार अभ्यंग अवश्य होता है. इसका दिन नियत नहीं परन्तु होता अवश्य है. इसी भाव से आज मंगला दर्शन उपरांत प्रभु को चन्दन, आवंला, एवं फुलेल (सुगन्धित तेल) से अभ्यंग (स्नान) कराया जायेगा.

अभ्यंग के साथ घेरदार वस्त्र का श्रृंगार भी धराया जाता है .इसमें लाल सलीदार ज़री के घेरदार वस्त्र, चोली, सूथन, पटका व श्रीमस्तक पर चीरा (ज़री की पाग) धराये जाते हैं. ठाडे वस्त्र श्याम धराये जाते हैं.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


गोधन पूजें गोधन गावें ।

गोधनके सेवक संतत हम गोधनहीकों माथो नावें ।।१।।

गोधन मात पिता गुरु गोधन गोधन देव जाहि नित्य ध्यावें ।

गोधन कामधेनु कल्पतरु गोधनपें मागें सोईपावें ।।२।।

गोधन खिरक खोर गिरि गव्हर रखवारो घरवन जहां छावें ।

परमानंद भांवतो गोधन गोधनहीकों हमहूं पुनभावें ।।३।।


साज – श्रीजी में आज श्याम रंग के आधारवस्त्र के ऊपर झाड़ फ़ानुश एवं सेवा करती सखियों की सुनहरी कशीदे के ज़रदोज़ी के काम वाली तथा पुष्पों के सज्जा के कशीदे के हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज लाल सलीदार ज़री के एवं सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र श्याम रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. सुवा पंखी मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.


श्रीमस्तक पर लाल सलीदार ज़री के चीरा (ज़री की पाग) के ऊपर सिरपैंच, लूम तथा चमकनी गोल चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में पन्ना के कर्णफूल की एक जोड़ी धराये जाते हैं.

श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं. पट लाल व गोटी चाँदी की आती है.




संध्या-आरती दर्शन उपरांत श्रीकंठ व श्रीमस्तक पर धराये श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लूम तुर्रा सुनहरी धराये जाते हैं और शयन दर्शन खुलते हैं.

 
 
 

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