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व्रज - कार्तिक शुक्ल षष्ठी

व्रज - कार्तिक शुक्ल षष्ठी

Sunday, 19 November 2023

हरे खिनख़ाब के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग (चीरा) पर क़तरा के शृंगार

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को गुलाबी ज़री का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा का श्रृंगार धराया जायेगा एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर क़तरा का श्रृंगार धराया जायेगा.

ये इन्द्रमान भंग के दिन है अतः कार्तिक शुक्ल तृतीया से अक्षय नवमी तक इन्द्रमान भंग के कीर्तन गाये जाते हैं.

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : धनाश्री)

कान्हकुंवर के कर पल्लव पर मानो गोवर्धन नृत्य करे ।

ज्यों ज्यों तान उठत मुरली में त्यों त्यों लालन अधर धरे ।।१।।

मेघ मृदंगी मृदंग बजावत दामिनी दमक मानो दीप जरे ।

ग्वाल ताल दे नीके गावे गायन के संग स्वरजु भरे ।।२।।

देत असीस सकल गोपीजन बरषाको जल अमीत झरे ।

यह अद्भुत अवसर गिरिधरको नंददास के दुःख हरे ।।३।।

साज – आज श्रीजी में हरे खिनख़ाब की रुपहली ज़री की तुईलैस के हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है. तकिया के ऊपर श्वेत रंग की एवं गादी एवं चरणचौकी के ऊपर हरे मखमल की बिछावट की जाती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज हरे खिनख़ाब पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. पटका मलमल का धराया जाता हैं. ठाड़े वस्त्र अमरसी रंग के धराये जाते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. गुलाबी मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर हरे ज़री के चीरा (ज़री की गोल पाग) के ऊपर सिरपैंच, क़तरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं. श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट हरा व गोटी चाँदी की आती है.


प्रातः धराये श्रीकंठ के श्रृगार संध्या-आरती उपरांत बड़े (हटा) कर शयन समय छोटे (छेड़ान के) श्रृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर चीरा पर लूम तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.

 
 
 

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