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व्रज – भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी

व्रज – भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी

Monday, 15 August 2022

केसरी मलमल की धोती, पटका एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग और गोल चंद्रिका के शृंगार

जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को केसरी मलमल की धोती, पटका एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग और गोल चंद्रिका का श्रृंगार धराया जायेगा.

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : सारंग)

ऐ री ऐ आज नंदराय के आनंद भयो l

नाचत गोपी करत कुलाहल मंगल चार ठयो ll 1 ll

राती पीरी चोली पहेरे नौतन झुमक सारी l

चोवा चंदन अंग लगावे सेंदुर मांग संवारी ll 2 ll

माखन दूध दह्यो भरिभाजन सकल ग्वाल ले आये l

बाजत बेनु पखावज महुवरि गावति गीत सुहाये ll 3 ll

हरद दूब अक्षत दधि कुंकुम आँगन बाढ़ी कीच l

हसत परस्पर प्रेम मुदित मन लाग लाग भुज बीच ll 4 ll

चहुँ वेद ध्वनि करत महामुनि पंचशब्द ढ़म ढ़ोल l

‘परमानंद’ बढ्यो गोकुलमे आनंद हृदय कलोल ll 5 ll

साज - श्रीजी में आज केसरी रंग की मलमल पर रुपहली ज़री के हांशिया (किनारी) वाली पिछवाई धरायी जाती है.

गादी के ऊपर सफेद, तकिया के ऊपर लाल मखमल बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज केसरी रंग की मलमल पर रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित धोती एवं पटका धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के होते हैं.

श्रृंगार – श्रीजी को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. हरे मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर केसरी रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, गोल चन्द्रिका,लूम एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.

आज श्रीकंठ में चार माला धरायी जाती है.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, लाल मीना के वेणुजी और वेत्रजी धराये जाते हैं..

पट केसरी एवं गोटी चाँदी की धराई जाती हैं.



 
 
 

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