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व्रज - भाद्रपद कृष्ण षष्ठी

व्रज - भाद्रपद कृष्ण षष्ठी

Wednesday, 17 August 2022

विशेष – जन्माष्टमी के पूर्व श्रीजी को घर के श्रृंगार धराये जाते हैं. इन्हें ‘आपके श्रृंगार’ भी कहा जाता है.

इस श्रृंखला में आज श्रीजी को हरा सफ़ेद लहरिया और श्रीमस्तक पर पाग और जमाव का कतरा धराया जाता है.

आज सभी समय झारीजी में यमुनाजल आता है.

आज श्रीजी में जन्माष्टमी की पानघर की सेवा की जाती हैं.

आज प्रभु को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में मेवाबाटी (मेवा मिश्रित खस्ता ठोड़) अरोगायी जाती है.

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : सारंग)

सब ग्वाल नाचे गोपी गावे l प्रेम मगन कछु कहत न आवे ll 1 ll

हमारे राय घर ढोटा जायो l सुनि सब लोक बधाये आयो ll 2 ll

दूध दधि घृत कांवरि ढोरी l तंदुल डूब अलंकृत रोरी ll 3 ll

हरद दूध दधि छिरकत अंगा l लसत पीत पट बसन सुरंगा ll 4 ll

ताल पखावज दुंदुभि ढोला l हसत परस्पर करत कलोला ll 5 ll

अजिर पंक गुलफन चढि आये l रपटत फिरत पग न ठहराये ll 6 ll

वारि वारि पटभूषन दीने l लटकत फिरत महारस भीने ll 7 ll

सुधि न परे को काकी नारी l हसि हसि देत परस्पर तारी ll 8 ll

सुर विमान सब कौतिक भूले l मुदित त्रिलोक विमोहित फूले ll 9 ll

साज - श्रीजी में आज हरे-श्वेत रंग के लहरिया की रुपहली ज़री के हांशिया (किनारी) से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया के ऊपर लाल मखमल बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.

वस्त्र – श्रीजी में आज हरे-श्वेत लहरिया का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के होते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.

माणक तथा जड़ाव स्वर्ण के सर्वआभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर हरे-सफेद लहरिया की पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, सुनहरी जमाव का कतरा एवं सुनहरी तुर्री तथा बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में मानक के कर्णफूल धराये जाते हैं.

श्रीकंठ में हार एवं दुलड़ा धराया जाता हैं.

पीले पुष्पों की विविध रंग की थागवाली दो मालाजी धरायी जाती है एवं इसी प्रकार की दो मालाजी हमेल की भांति भी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट शतरंज का हरा एवं गोटी स्वर्ण की शतरंज की धराई जाती हैं.

आरसी श्रृंगार में सोना की एवं राजभोग में सोना की डांडी की आती है.



 
 
 

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