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व्रज – भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी

व्रज – भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी

Thursday, 28 September 2023

मल्लकाछ टिपारा के श्रृंगार

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को मल्लकाछ टिपारा का श्रृंगार धराया जायेगा.

मल्लकाछ शब्द दो शब्दों (मल्ल एवं कच्छ) के मेल से बना है. ये एक विशेष परिधान है जो आम तौर पर पहलवान मल्ल (कुश्ती) के समय पहना करते हैं. यह श्रृंगार पराक्रमी प्रभु को वीर-रस की भावना से धराया जाता है.

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : सारंग)

ग्वालिनी मीठी तेरी छाछि l

कहा दूध में मेलि जमायो साँची कहै किन वांछि ll 1 ll

और भांति चितैवो तेरौ भ्रौह चलत है आछि l

ऐसो टक झक कबहु न दैख्यो तू जो रही कछि काछि ll 2 ll

रहसि कान्ह कर कुचगति परसत तु जो परति है पाछि l

‘परमानंद’ गोपाल आलिंगी गोप वधू हरिनाछि ll 3 ll

साज – आज श्रीजी में श्री गोवर्धन शिखर, सांकरी खोर, गौरस बेचने जाती गोपियों एवं श्री ठाकुरजी एवं बलरामजी मल्लकाछ-टिपारा धराये भुजदंड से मटकी फोड़ने के लिए श्रीहस्त की छड़ी ऊंची कर रहे हैं एवं मटकी में से गौरस छलक रहा है ऐसे सुन्दर चित्रांकन वाली दानलीला की पिछवाई धरायी है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद रंग की बिछावट की गयी है.

वस्त्र – श्रीजी को आज हरे मलमल का रुपहली ज़री की तुईलैस किनारी से सुसज्जित मल्लकाछ एवं पटका धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के धराये हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज श्रीकंठ के शृंगार छेड़ान(हल्के) के बाक़ी सब भारी श्रृंगार धराया जाता है. फ़िरोज़ा के सर्व आभरण धराये हैं.

श्रीमस्तक पर टिपारा का साज धराया है जिसमें टिपारा की टोपी के ऊपर मध्य में हरे वस्त्र पर मोतियों से सुसज्जित मोरशिखा, दोनों ओर दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये हैं. श्रीकर्ण में मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.चोटीजी नहीं धराई हैं.

श्रीकंठ में कुंडल धराये जाते हैं.

कमल माला धराई जाती हैं.


श्वेत पुष्पों की कलात्मक, रंग-बिरंगी थागवाली दो मालाजी धरायी जाती है. श्रीहस्त में कमलछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी(एक स्वर्ण का) धराये जाते हैं.पट हरा एवं गोटी चाँदी की बाघ-बकरी की आती हैं.

 
 
 

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