top of page
Search

व्रज– माघ शुक्ल तृतीया (द्वितीया क्षय)

व्रज– माघ शुक्ल तृतीया (द्वितीया क्षय)

Thursday, 03 February 2022


लाल सलीदार ज़री के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग और चंद्रिका या क़तरा के शृंगार


जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.


ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को लाल सलीदार ज़री का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा का श्रृंगार धराया जायेगा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर चंद्रिका या क़तरा का श्रृंगार धराया जायेगा.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : आसावरी)


गोपालको मुखारविंद जियमें विचारो ।

कोटि भानु कोटि चंद्र मदन कोटि वारो ।।१।।

कमलनैन चारूबैन मधुर हास सोहे ।

बंक अवलोकन पर जुवती सब मोहे ।।२।।

धर्म अर्थ काम मोक्ष सब सुख के दाता ।

चत्रभूज प्रभु गोवर्धनधर गोकूलके त्राता।।३।।


साज – श्रीजी में आज लाल रंग की रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – आज श्रीजी को लाल सलीदार ज़री का सूथन, चोली, तथा घेरदार वागा धराये जाते हैं. सभी वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र श्याम रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. पन्ना के सर्व आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लाल रंग की छज्जेदार पग के ऊपर सिरपैंच, कतरा या चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.

पीले एवं गुलाबी पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में हरे मीना के वेणुजी तथा एक वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट लाल एवं गोटी चाँदी की आती है.


 
 
 

Comments


© 2020 by Pushti Saaj Shringar.

bottom of page