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व्रज – मार्गशीर्ष कृष्ण द्वितीया

व्रज – मार्गशीर्ष कृष्ण द्वितीया

Wednesday, 29 November 2023

हरे साटन के चागदार वागा एवं श्रीमस्तक पर फ़ीरोज़ा का जड़ाऊ ग्वालपगा और पगा चंद्रिका (मोरशिखा) के शृंगार

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को हरे साटन के चागदार वागा एवं श्रीमस्तक पर फ़ीरोज़ा का जड़ाऊ ग्वालपगा और पगा चंद्रिका (मोरशिखा) का श्रृंगार धराया जायेगा.

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग :आसावरी)

चल री सखी नंदगाव जई बसिये,खिरक खेलत व्रजचंद सो हसिये ।।१।।

बसत बठेन सब सुखमाई,कठिन ईहै दुःख दूरि कन्हाई ।।२।।

माखन चोरत दूरि दूरि देख्यों,सजनी जनम सूफल करि लेखों ।।३।।

जलचर लोचन छिन छिन प्यासा, कठिन प्रीति परमानंददासा ।।४।।

साज – श्रीजी में आज सुरमा सितारा के कशीदे के ज़रदोज़ी के काम वाली (शीतकाल की) एवं हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज हरे रंग के साटन पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं चाकदार वागा धराये जाते हैं. पटका हरे रंग का मलमल का धराया जाता हैं. ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के धराये जाते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज छेड़ान के (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.गुलाबी मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर फ़ीरोज़ा के जड़ाऊ ग्वालपगा के ऊपर सिरपैंच तथा पगा चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में लोलकबिंदी धराये जाते हैं.

श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी एवं कमल माला धरायी जाती है.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, सोना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट फ़िरोज़ी व गोटी चाँदी की बाघ बकरी के आते है.

संध्या-आरती दर्शन उपरांत प्रभु के श्रीकंठ के आभरण एवं फ़ीरोज़ा के जड़ाऊ ग्वालपगा को बड़ा कर के छज्जेदार पाग धराई जाती हैं एवं शयन दर्शन हेतु छेड़ान के श्रृंगार धराये जाते हैं.


श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.

 
 
 

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