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व्रज - वैशाख शुक्ल द्वितीया

व्रज - वैशाख शुक्ल द्वितीया

Tuesday, 29 April 2025


आगम का श्रृंगार


अधिकांश बड़े उत्सवों के एक दिन पूर्व लाल-पीले वस्त्र एवं पाग-चन्द्रिका का श्रृंगार धराया जाता है. इसे आगम का श्रृंगार कहा जाता है और यह श्रृंगार अनुराग के भाव से धराया जाता है.


इस श्रृंगार के लाल वस्त्र विविध ऋतुओं के उत्सवों के अनुरूप होते हैं अर्थात गत वैशाख कृष्ण नवमी को श्री महाप्रभुजी के उत्सव के पूर्व के इस श्रृंगार में तत्कालीन ऋतु के अनुरूप घेरदार वागा धराये गए थे और वैशाख कृष्ण द्वादशी से सामान्यतया शीतकालीन वस्त्र अर्थात घेरदार, चाकदार एवं खुलेबंद के वागा नहीं धराये जाते अतः आज प्रभु को लाल मलमल का पिछोड़ा धराया जायेगा.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


आज की बानिक कही न जाय, बैठे निकस कुंजद्वार l

लटपटी पाग सिर सिथिल चिहुर चारू खसित बरुहा चंदरस भरें ब्रजराजकुमार ll 1 ll

श्रमजल बिंदु कपोल बिराजत मानों ओस कन नीलकमल पर l

‘गोविंद’ प्रभु लाडिलो ललन बलि कहा कहों अंग अंग सुंदर वर ll 2 ll


साज – आज श्रीजी में लाल सुनहरी लप्पा की, सुनहरी ज़री की तुईलैस के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – आज प्रभु को लाल मलमल का पिछोड़ा धराया जाता हैं. सभी वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. पन्ना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर लाल मलमल की गोल

पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.

श्रीकर्ण में एक जोड़ी पन्ना के कर्णफूल धराये जाते हैं. श्रीकंठ में पन्ना की चार माला धरायी जाती है. श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.


पट लाल, गोटी सोने की छोटी व आरसी श्रृंगार में सोना की एवं राजभोग में बटदार आती है.

 
 
 

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