top of page
Search

व्रज - श्रावण कृष्ण चतुर्दशी

व्रज - श्रावण कृष्ण चतुर्दशी

Wednesday, 27 July 2022

लाल केसरी लहरियाँ का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर दुमाला पर कलगा (भीमसेनी क़तरा) के श्रृंगार

जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को लाल केसरी लहरियाँ का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर दुमाला पर कलगा (भीमसेनी क़तरा) का श्रृंगार धराया जायेगा.

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : मल्हार)

चल सखी देखन नंद किशोर l

श्रीराधाजु संग लीये बिहरत रुचिर कुंज घन सोर ll 1 ll

उमगी घटा चहुँ दिशतें बरखत है घनघोर l

तैसी लहलहातसों दामन पवन नचत अति जोर ll 2 ll

पीत वसन वनमाल श्याम के सारी सुरंग तनगोर l

जुग जुग केलि करो ‘परमानंद’ नैन सिरावत मोर ll 3 ll

साज – श्रीजी में आज लाल केसरी लहरियाँ की रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है. स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज लाल केसरी लहरियाँ का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के होते हैं.

श्रृंगार – आज प्रभु को मध्य का (घुटनों तक) श्रृंगार धराया जाता है. फ़ीरोज़ा के आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर लाल केसरी लहरियाँ के दुमाला के ऊपर सिरपैंच, कलगा (भीमसेनी कतरा) एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में लोलकबिंदी धराये जाते हैं.

श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं. श्रीहस्त में कमलछड़ी, स्याम मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट केसरी व गोटी बाघ-बकरी की आती है.

संध्या-आरती में श्री मदनमोहन जी मोती के हिंडोलने में झूलते हैं. उनके सभी वस्त्र श्रृंगार श्रीजी के जैसे ही होते हैं. आज श्री बालकृष्णलाल जी भी उनकी गोदी में विराजित हो झूलते हैं.



 
 
 

Comments


© 2020 by Pushti Saaj Shringar.

bottom of page