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व्रज - श्रावण शुक्ल तृतीया (ठकुरानी तीज)

व्रज - श्रावण शुक्ल तृतीया (ठकुरानी तीज)

Wednesday, 07 August 2024


ठकुरानी तीज


सभी वैष्णवों को ठकुरानी तीज की बधाई


आज से श्रीजी को चूंदड़ी के वस्त्र धराने आरम्भ होते हैं.


वस्त्रों में आज नियम का लाल रंग का चौफूली चूंदड़ी का पिछोड़ा और श्रीमस्तक पर पाग व मोर-चंद्रिका का श्रृंगार धराया जाता है.


गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में प्रभु को चारोली (चिरोंजी) के लड्डू और दूधघर में सिद्ध केशरयुक्त बासोंदी की हांडी अरोगायी जाती है.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : मल्हार)


सारी मेरी भींजत है जु नई अब ही पीहर से पहने जु आयी पिता वृषभानु दई ।

सुन्दर श्याम जायेगो ये रंग बहु विध चित्र दई ।।१।।

अपनो पीताम्बर मोहे ओढ़ावो बरखा उदित भई ।

कुम्भनदास लाल गिरधरनवर मुदित उछंग लई ।।२।।


साज – श्रीजी में आज लाल रंग की चौफूली चूंदड़ी की रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.


वस्त्र – आज प्रभु को लाल रंग का चौफूली चूंदड़ी का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – आज श्रीजी को वनमाला (चरणारविन्द तक) का उत्सव का भारी श्रृंगार धराया जाता है.

मिलवा – हीरा, मोती, माणिक पन्ना एवं जड़ाव स्वर्ण के आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर लाल चौफूली चूंदड़ी की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, सादी मोरपंख की चन्द्रिका और बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में हीरा के चार कर्णफूल धराये जाते हैं. श्रीकंठ में कली,कस्तूरी आदि की माला आती हैं.

नीचे सात पदक ऊपर हीरा, पन्ना, माणक, मोती के हार व दुलडा धराया जाता हैं.

श्वेत एवं पीले पुष्पों की सुन्दर थाग वाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, हीरा के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट उत्सव का गोटी जड़ाऊ की आती है.


आरसी श्रृंगार में चार झाड़ की एवं राजभोग में सोने की डांडी की आती है.

 
 
 

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