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व्रज – श्रावण शुक्ल षष्ठी

व्रज – श्रावण शुक्ल षष्ठी

Monday, 24 July 2023

पीले मलमल का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर लाल सफ़ेद मीना का किरीट पान के शृंगार

आज के मनोरथ-

राजभोग में चाँदी का बंगला

शाम को पुष्प वितान

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : मल्हार)

ऐरी यह नागर नंदलाल कुंवर मोरन संग नाचे l

कटि तटपट किंकिणी कलनूपुर रुन झुन करे नृत्य करत चपल चरण पात घात सांचे ll 1 ll

उदित मुदित सघन गगन घोरत घन दे दे भेद कोकिला कलगान करत पंचम स्वर वांचे l

‘छीतस्वामी’ गोवर्धननाथ साथ विरहत वर विलास वृंदावन प्रेमवास यांचे ll 2 ll

साज – श्रीजी में आज पीले रंग की मलमल पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज पीले मलमल का रूपहरी किनारी का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र लाल चुंदड़ी के होते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज वनमाला (चरणारविन्द तक) का भारी श्रृंगार धराया जाता है. पन्ना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर लाल सफ़ेद मीना का किरीट पान एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में कुंडल धराये जाते हैं.

कस्तूरी, कली, कमल आदि सभी माला धरायी जाती है. तुलसी एवं श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर, कलात्मक मालाजी धरायी जाती हैं. श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी (एक सोना) का धराये जाते हैं.


पट पीला व गोटी शतरंज की आती है.

 
 
 

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