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व्रज – श्रावण शुक्ल षष्ठी

व्रज – श्रावण शुक्ल षष्ठी

Saturday, 10 August 2024


गुलाबी मलमल का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर ग्वाल पगा पर पगा चंद्रिका के शृंगार


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : मल्हार)


चल सखी देखन नंद किशोर l

श्रीराधाजु संग लीये बिहरत रुचिर कुंज घन सोर ll 1 ll

उमगी घटा चहुँ दिशतें बरखत है घनघोर l

तैसी लहलहातसों दामन पवन नचत अति जोर ll 2 ll

पीत वसन वनमाल श्याम के सारी सुरंग तनगोर l

जुग जुग केलि करो ‘परमानंद’ नैन सिरावत मोर ll 3 ll


साज – श्रीजी में आज गुलाबी रंग की मलमल पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज गुलाबी रंग की मलमल का सुनहरी किनारी का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र मेघस्याम रंग के होते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज छेड़ान का श्रृंगार धराया जाता है. हरे मीना के के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग की ग्वालपाग (पगा) के ऊपर मोती की लूम, सुनहरी चमक (जमाव) की चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में लोलकबंदी लड़ वाले कर्णफूल धराये जाते हैं.

आज कमल माला धरावे.

श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी व कमल के पुष्प की मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में एक कमल की कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.


पट गुलाबी व गोटी बाघ बकरी की आती हैं.

 
 
 

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