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व्रज – आश्विन अधिक कृष्ण पंचमी

व्रज – आश्विन अधिक कृष्ण पंचमी

Wednesday, 07 October 2020


आज के मनोरथ


राजभोग में बंगला


शाम को कमल तलाई का मनोरथ


विशेष-अधिक मास में आज श्रीजी को फ़िरोज़ी मलमल का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग तथा मोरशिखा का श्रृंगार धराया जायेगा.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


कहा कहो लाल सुघर रंग राख्यो मुरलीमें l

तान बंधान स्वर भेदलेत अतिजित

बिचबिच मिलवत विकट अवधर ll 1 ll

चोख माखनीकी रेख तामे गायन मिलवत लांबे लांबे स्वर l

बिच बिच लेत तिहारो नाम सुनरी सयानी,

‘गोविंदप्रभु’ व्रजरानी के कुंवर ll 2 ll


साज – श्रीजी में आज गौचारण लीला के चित्रांकन से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है जिसमें श्री ठाकुरजी ग्वाल-बाल सहित गौचारण कर पधारे हैं और गोपीजन उनका स्वागत हाथों में आरती लिये कर रही हैं. गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है. स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद मखमल मढ़ी हुई होती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज फ़िरोज़ी मलमल का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के होते हैं.


श्रृंगार – श्रीजी को आज छोटा (कमर तक) का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. माणक के सर्वआभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, सुनहरी लूम तथा मोरशिखा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.

सफेद एवं पीले पुष्पों की सुन्दर दो मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं दो वैत्रजी धराये जाते हैं.

पट फ़िरोज़ी व गोटी चाँदी की आती है.

 
 
 

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