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व्रज – आश्विन अधिक कृष्ण सप्तमी

व्रज – आश्विन अधिक कृष्ण सप्तमी

Friday, 09 October 2020


आज के मनोरथ-


राजभोग में सोने का बंगला


शाम को ‘फूल की हटडी गोखड़ा’ वाली का मनोरथ


विशेष-अधिक मास में आज श्रीजी को केसरी मलमल का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर टिपारा का श्रृंगार धराया जायेगा.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


बैठे हरि राधासंग कुंजभवन अपने रंग

कर मुरली अधर धरे सारंग मुख गाई ll

मोहन अतिही सुजान परम चतुर गुननिधान

जान बुझ एक तान चूक के बजाई ll 1 ll

प्यारी जब गह्यो बीन सकल कला गुनप्रवीन

अति नवीन रूपसहित वही तान सुनाई ll

वल्लभ गिरिधरनलाल रिझ दई अंकमाल

कहत भलें भलें लाल सुन्दर सुखदाई ll 2 ll


साज – श्रीजी में आज केसरी मलमल की पिछवाई धरायी जाती है. राजभोग में प्रभु सोने के बंगले में विराजते हैं.

गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है. स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद मखमल मढ़ी हुई होती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज केसरी मलमल का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के होते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज वनमाला (चरणारविन्द तक) का भारी श्रृंगार धराया जाता है. पन्ना के आभरण धराये जाते हैं. कली, कस्तूरी व कमल माला धरायी जाती है.


श्रीमस्तक पर केसरी रंग का ग्वालपाग (पगा) धराया जाता है जिसके ऊपर चमकना टिपारा का साज - मध्य में मोरशिखा, दोनों ओर दोहरा कतरा तथा बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में जड़ाव के मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.

चोटीजी मीना की धरायी जाती हैं.

श्वेत एवं पीले पुष्पों की दो मालाजी धरायी जाती हैं. श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी और वेत्रजी (एक स्वर्ण का) धराये जाते हैं.

पट लाल व गोटी बाघ बकरी की आती है.



 
 
 

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