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व्रज – आश्विन अधिक शुक्ल चतुर्दशी

व्रज – आश्विन अधिक शुक्ल चतुर्दशी

Wednesday, 30 September 2020


आज के मनोरथ-


प्रातः बंगला


सायं जहां तहां बोलत मोर सुहाए को मनोरथ


विशेष-अधिक मास में आज श्रीजी को चोफुली चुंदड़ी के धोती पटका एवं श्रीमस्तक पर चिनमा पाग का श्रृंगार धराया जायेगा.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


बैठे हरि राधा संग कुंजभवन अपने रंग

कर मुरली अधर धरे सारंग मुख गाई l

मोहन अति ही सुजान परम चतुर गुन निधान

जान बुझ एक तान चूकके बजाई ll 1 ll

प्यारी जब गह्यो बीन सकल कला गुन प्रवीन

अति नवीन रूप सहित, वही तान सूनाई ll 2 ll

‘वल्लभ’ गिरिधरन लाल रिझ दई अंकमाल

कहत भले भले जु लाल सुंदर सुखदाई ll 3 ll


साज – आज श्रीजी में चोफुली चुंदड़ी की की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – आज श्रीजी को चोफुली चुंदड़ी का रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित धोती एवं राजशाही पटका धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. फ़ीरोज़ा के सर्व-आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर चिनमा पाग के ऊपर सीधी चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.

श्रीकंठ में एक हार एवं श्वेत एवं पीले पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, लहरियाँ के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट लाल एवं गोटी मीना की आती हैं.


 
 
 

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