व्रज - कार्तिक शुक्ल एकादशी
- Reshma Chinai
- Nov 25, 2020
- 2 min read
व्रज - कार्तिक शुक्ल एकादशी
Wednesday,25 November 2020
आगम के शृंगार
श्रीजी में देवोत्थापन शुभ भद्रारहित समय के अनुसार प्रातः मंगला पश्चात अथवा सायंकाल उत्थापन पश्चात किया जाता है.
भद्रावास 25 नवम्बर दोपहर 3.54 से 26 नवम्बर सुबह 5 बजकर 10 मिनिट तक होने से देवोत्थापन इसके पश्चात होगा अतः एकादशी का व्रत कल कार्तिक शुक्ल द्वादशी (गुरुवार, 26 नवम्बर 2020) को एवं देवोत्थापन शृंगार के दर्शन में होगा इस लिये आज श्रीजी को उत्सव के एक दिन पूर्व धराये जाने वाले आगम के लाल-पीले वस्त्र व मोर चंद्रिका का हल्का श्रृंगार धराया जायेगा.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग :सारंग)
अनत न जैये पिय रहिये मेरे ही महल l
जोई जोई कहोगे पिय सोई सोई करूँगी टहल ll१ll
शैय्या सामग्री बसन आभूषण सब विध कर राखूँगी पहल l
चतुरबिहारी गिरिधारी पिया की रावरी यही सहल ll२ll
साज – आज श्रीजी में श्याम आधारवस्त्र पर खण्डों में रूपहरि कूदती गायों के कशीदा वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया के ऊपर लाल एवं चरणचौकी के ऊपर हरी बिछावट की जाती है.चौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज लाल रंग की ज़री पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा एवं पटका धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र पिले रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज छेड़ान के (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.पन्ना एवं सोने के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर लाल ज़री चीरा (ज़री की पाग) के ऊपर सिरपैंच, उसके ऊपर-नीचे मोती की लड़, नवरत्न की किलंगी, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में पन्ना के कर्णफूल की एक जोड़ी धराये जाते हैं.
पन्ना की चार मालाजी धरायी जाती है.
श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, हारे मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट लाल व गोटी सोना की छोटी आती है.
आरसी शृंगार में छोटी सोना की एवं राजभोग में बटदार दिखाई जाती हैं.
संध्या-आरती दर्शन उपरांत प्रभु के श्रीकंठ के आभरण बड़े कर दिए जाते हैं और शयन दर्शन हेतु छेड़ान के श्रृंगार धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.
अनोसर में चीरा बड़ा करके छज्जेदार पाग धरायी जाती हैं.

留言