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व्रज - चैत्र शुक्ल अष्टमी

व्रज - चैत्र शुक्ल अष्टमी

Tuesday, 20 April 2021


रामनवमी के आगम का श्रृंगार


विशेष – कल रामनवमी है और आज श्रीजी को उत्सव के एक दिन पूर्व धराया जाने वाला आगम का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.


अधिकतर बड़े उत्सवों के एक दिन पूर्व लाल वस्त्र एवं पाग-चन्द्रिका का श्रृंगार धराया जाता है.

यह श्रृंगार अनुराग के भाव से धराया जाता है.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


आज की बानिक कही न जाय, बैठे निकस कुंजद्वार l

लटपटी पाग सिर सिथिल चिहुर चारू खसित बरुहा चंदरस भरें ब्रजराजकुमार ll 1 ll

श्रमजल बिंदु कपोल बिराजत मानों ओस कन नीलकमल पर l

‘गोविंद’ प्रभु लाडिलो ललन बलि कहा कहों अंग अंग सुंदर वर ll 2 ll


साज – आज श्रीजी में लाल रंग सुनहरी लप्पा की, सुनहरी ज़री की तुईलैस के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – आज प्रभु को लाल रंग के सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. उर्ध्व भुजा की ओर कटि-पटका धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) चार माला का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. पन्ना एवं सोने के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर लाल रंग की गोल-पाग के ऊपर सिरपैंच, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.

आज चार माला धरावे.

श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं. गुलाब के पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट लाल, गोटी छोटी सोने की व आरसी श्रृंगार में सोना की एवं राजभोग में बटदार आती है.


संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के आभरण बड़े कर छेड़ान के (छोटे) आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराया जाता है.



 
 
 

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