top of page
Search

व्रज - चैत्र शुक्ल चतुर्दशी

व्रज - चैत्र शुक्ल चतुर्दशी

Monday, 26 April 2021


श्रीजी में आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार नियम के श्रृंगार के अलावा अन्य खाली दिनों में ऐच्छिक श्रृंगार धराया जाता है.

ऐच्छिक श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत की आज्ञा एवं मुखिया जी के स्व-विवेक के आधार पर धराया जाता है.


मेरी जानकारी के अनुसार आज श्रीजी को लाल पिले लहरियाँ के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर ग्वाल-पगा धराये जायेंगे


राजभोग दर्शन –


कीर्तन (राग : घनाश्री)


यशोदा रानी जायो है सुत नीको l

आनंद भयो सकल गोकुलमें गोप वधु लाई टीको ll 1 ll

अक्षत दूब रोचन वंदन नंदे तिलक दहीं को l

अंचल वारि वारि मुख निरखत कमल नैन प्यारो जीकों ll 2 ll

अपने अपने भवन से निकसी पहेरे चीर कसुम्भी को l

'यादवेन्द्र' व्रजकुल प्रति पालक कंस काल भय भीको ll 3 ll


साज – आज श्रीजी में लहरिया की रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – आज श्रीजी को लाल-पिले लहरिया का सूथन, चोली तथा चाकदार वागा धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. हरे मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर लाल-पिले लहरिया के ग्वाल पगा के ऊपर सिरपैंच, लूम, पगा चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में लोलकबिंदी धराये जाते हैं.

कमल माला धरावे.

गुलाबी एवं पीले पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, चाँदी के वेणुजी वेत्र धराये जाते हैं.

पट लाल व गोटी चाँदी की बाघ बकरी की आती है.


 
 
 

Comments


© 2020 by Pushti Saaj Shringar.

bottom of page