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सेवा मे लगभग प्रायः तीन प्रकार की मीठाईयाँ होती है।

सेवा मे लगभग प्रायः तीन प्रकार की मीठाईयाँ होती है।

एक जो बनाने के बाद उन पर शक्कर चढाई जाती है।

दुसरी बनाने के बाद चाशनी में डाल कर बाहर निकाल ली जाती है।

तीसरी बनाने के बाद चाशनी मे डाल दी जाती और उसी मे डुबी रहती और उसे जरा सा छुओ उसमे रस टपक ने लगता है।

प्रभु की सेवा करने वाला भक्त भी तीसरी प्रकार की मीठाई जैसा ही होता है। वह भी श्रीठाकुर जी की प्रेम रुपी चाशनी मे हमेशा अपनी धुन सेवा मय डुबा रहता है। और उसे जरा सा छेडा तो उससे प्रेम रुपी रस टपकने लगता है।

वही पुष्टि मार्ग सेवा करने वाला सेवक (भक्त ) है। हम भी प्रयास करने पर तीसरी चाशनी की तरह बन सकते है।

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© 2020 by Pushti Saaj Shringar.

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