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व्रज - कार्तिक शुक्ल चतुर्थी

व्रज - कार्तिक शुक्ल चतुर्थी

Wednesday, 18 November 2020


श्रीजी में आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार नियम के श्रृंगार के अलावा अन्य खाली दिनों में ऐच्छिक श्रृंगार धराया जाता है.

ऐच्छिक श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत की आज्ञा एवं मुखिया जी के स्व-विवेक के आधार पर धराया जाता है.


मेरी जानकारी के अनुसार आज श्रीजी को पीली ज़री पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा का श्रृंगार धराया जायेगा. ठाड़े वस्त्र स्याम रंग के धराये जाते हैं.

आज से प्रभु सम्मुख के गादी, चरणचौकी खंडपाट आदि की खोल पर से लाल मख़मल के खोल उतार कर सफ़ेदी के खोल आते हैं.


ये इन्द्रमान भंग के दिन है अतः कार्तिक शुक्ल तृतीया से अक्षय नवमी तक इन्द्रमान भंग के कीर्तन गाये जाते हैं.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


ब्रजजन लोचन ही को तारो ।

सुन यशोमति तेरो पूत सपुतो कुल दीपक उजियारो ।।१।।

धेनु चरावत जात दूर तब होत भवन अति भारो ।

घोष सजीवन मुर हमारो छिन इत ऊत जिन टारो ।।२।।

सात द्योस गिरिराज धर्यो कर सात बरसको बारो ।

गोविंद प्रभु चिरजियो रानी तेरो सुत गोप वंश रखवारो ।।३।।


साज – आज श्रीजी में पिले रंग की ज़री की रुपहली ज़री की तुईलैस के हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज लाल सलीदार ज़री पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. पटका मलमल का धराया जाता हैं. ठाड़े वस्त्र हारे रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.पन्ना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर पीली ज़री के चीरा (ज़री की पाग) के ऊपर सिरपैंच, क़तरा तथा गोल चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं. श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, स्याम मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट पिला व गोटी मीना की आती है.


प्रातः धराये श्रीकंठ के श्रृगार संध्या-आरती उपरांत बड़े (हटा) कर शयन समय छोटे (छेड़ान के) श्रृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर चीरा पर लूम तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.

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