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व्रज - चैत्र कृष्ण अमावस्या (द्वितीय)

व्रज - चैत्र कृष्ण अमावस्या (द्वितीय) सोमवती अमावस्या

सोमवार,12 April 2021


विशेष - सोमवार को जो अमावस्या आती है उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं.


श्रीजी में आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक शृंगार नियम के श्रृंगार के अलावा अन्य खाली दिनों में ऐच्छिक श्रृंगार धराया जाता है.

ऐच्छिक श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत की आज्ञा एवं मुखिया जी के स्व-विवेक के आधार पर धराया जाता है.


मेरी जानकारी के अनुसार आज श्रीजी को मेघस्याम सलीदार ज़री पर रूपहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा का श्रृंगार धराया जायेगा.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग :सारंग)


मेरी अखियन के भूषण गिरिधारी ।

बलि बलि जाऊ छबीली छबि पर अति आनंद सुखकारी ।।१।।

परम उदार चतुर चिंतामनिवदरस दरस दुं

दु़:खहारी ।

अतुल प्रताप तनक तुलसी दल मानत सेवा भारी ।।२।।

छीतस्वामी गिरिधरन विसद यश गावत गोकुलनारी ।

कहा वरनौ गुन गाथ नाथके श्रीविट्ठल ह्रदय विहारी ।।३।।


साज – श्रीजी में आज स्याम रंग की ज़री की हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज मेघस्याम सलीदार ज़री पर रूपहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. पटका मलमल का धराया जाता हैं. ठाड़े वस्त्र अमरसी रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज छेड़ान के (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. स्वर्ण सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर मेघस्याम ज़री की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, बांकी (तिरछी) गोल चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में कर्णफूल की एक जोड़ी धराये जाते हैं.

गुलाबी पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, स्वर्ण के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट मेघस्याम व गोटी चाँदी की आती है.


संध्या-आरती दर्शन उपरांत प्रभु के श्रीकंठ के आभरण बड़े कर दिए जाते हैं और शयन दर्शन हेतु छेड़ान के श्रृंगार धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.


कल नव संवत्सर से संभवतया शयन के दर्शन बाहर नहीं खोले जाएँगे.

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