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व्रज - चैत्र कृष्ण चतुर्दशी

व्रज - चैत्र कृष्ण चतुर्दशी

Friday, 09 April 2021


श्रीजी में आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार नियम के श्रृंगार के अलावा अन्य खाली दिनों में ऐच्छिक श्रृंगार धराया जाता है.

ऐच्छिक श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत की आज्ञा एवं मुखिया जी के स्व-विवेक के आधार पर धराया जाता है.


मेरी जानकारी के अनुसार आज श्रीजी को मेघश्याम ज़री पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा का श्रृंगार धराया जायेगा.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


बैठे हरि राधासंग कुंजभवन अपने रंग

कर मुरली अधर धरे सारंग मुख गाई ll

मोहन अतिही सुजान परम चतुर गुननिधान

जान बुझ एक तान चूक के बजाई ll 1 ll

प्यारी जब गह्यो बीन सकल कला गुनप्रवीन

अति नवीन रूपसहित वही तान सुनाई ll

वल्लभ गिरिधरनलाल रिझ दई अंकमाल

कहत भलें भलें लाल सुन्दर सुखदाई ll 2 ll


साज – आज श्रीजी में मेघश्याम ज़री की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – आज श्रीजी को मेघश्याम रंग की ज़री का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. गुलाबी रंग के ठाडे वस्त्र धराये जाते हैं.


श्रृंगार – आज प्रभु को हल्का श्रृंगार धराया जाता है. माणक के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर मेघश्याम रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, चन्द्रिका क़तरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.


गुलाबी पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, श्याम मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट मेघश्याम एवं गोटी चाँदी की आती है.


संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के आभरण बड़े कर छेड़ान के (छोटे) आभरण धराये जाते हैं. शयन दर्शन में श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराया जाता है.


 
 
 

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