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व्रज - चैत्र कृष्ण तृतीया

व्रज - चैत्र कृष्ण तृतीया

Wednesday, 31 March 2021


श्रीजी में आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार नियम के श्रृंगार के अलावा अन्य खाली दिनों में ऐच्छिक श्रृंगार धराया जाता है.

ऐच्छिक श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत की आज्ञा एवं मुखिया जी के स्व-विवेक के आधार पर धराया जाता है.


मेरी जानकारी के अनुसार आज श्रीजी को कत्थई साटन पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं चाकदार वागा का श्रृंगार धराया जायेगा.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : आसावरी)


आज शृंगार निरख श्यामा को नीको बन्यो श्याम मन भावत ।

यह छबि तनहि लखायो चाहत कर गहि के मुखचंद्र दिखावत ।।१।।

मुख जोरें प्रतिबिम्ब विराजत निरख निरख मन में मुस्कावत ।

चतुर्भुज प्रभु गिरिधर श्री राधा अरस परस दोऊ रीझि रिझावत ।।२।।


साज – श्रीजी को आज कत्थई रंग की सुरमा सितारा के कशीदे के ज़रदोज़ी के काम वाली एवं हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज कत्थई ज़री पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं चाकदार वागा धराये जाते हैं. पटका मलमल का धराया जाता हैं.ठाड़े वस्त्र पिले रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. फिरोज़ा के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर कत्थई रंग के ग्वाल पगा पर सिरपैंच, पगा चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.

श्रीकर्ण में लोलकबिंदी धराये जाते हैं.

श्वेत एवं पीले पुष्पों की गुलाबी थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में चाँदी के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट बेंगनी व गोटी चाँदी की आती है.


संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के आभरण बड़े कर छेड़ान के (छोटे) आभरण धराये जाते हैं. शयन दर्शन में श्रीमस्तक पर पगा रहे लूम-तुर्रा नहीं आवे.


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