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व्रज - चैत्र शुक्ल त्रयोदशी

व्रज - चैत्र शुक्ल त्रयोदशी

Sunday, 25 April 2021



पहर री माल गुलाब सुगंधकी ले राधे मोहन तोहे दीनी ।

अबही उर ते उतार लइ है अपने अंगराग रस भीनी ।।१।।

मान निहोरी निहारी नयन भर हंस गही हाथ सखीपे लीनी ।

सूर कहे जिन गहरु कर भामिनि गिरिधर छेल तोपे बस कीनी ।।२।।


श्रीजी में आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार नियम के श्रृंगार के अलावा अन्य खाली दिनों में ऐच्छिक श्रृंगार धराया जाता है.

ऐच्छिक श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत की आज्ञा एवं मुखिया जी के स्व-विवेक के आधार पर धराया जाता है.


मेरी जानकारी के अनुसार आज श्रीजी को गुलाबी मलमल के घेरदार वागा गोल पाग एवं क़तरा, चंद्रिका का श्रृंगार धराया जायेगा.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


शुभ वैशाख कृष्ण एकादशी श्री वल्लभ प्रभु प्रकट भये l

दैवी जीवन के भाग्य विस्तरे निरखत ताप तन के गये ll 1 ll

पुष्टि भक्तिरस निजदासनको अति उदार मन दान दिये l

‘माणिकचंद’ हिये बसो निरंतर श्रीवल्लभ आनंद मये ll 2 ll


साज – श्रीजी में आज गुलाबी मलमल की रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – आज प्रभु को गुलाबी मलमल का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. सभी वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र स्याम रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. पन्ना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, कतरा ,चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.

चैत्री गुलाब के पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट गुलाबी व गोटी मीना की आती है.


 
 
 

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