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व्रज – पौष शुक्ल सप्तमी

व्रज – पौष शुक्ल सप्तमी

Wednesday, 20 January 2021


श्रीजी में आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार नियम के श्रृंगार के अलावा अन्य खाली दिनों में ऐच्छिक श्रृंगार धराया जाता है.

ऐच्छिक श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत की आज्ञा एवं मुखिया जी के स्व-विवेक के आधार पर धराया जाता है.


मेरी जानकारी के अनुसार आज श्रीजी को लाल साटन पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा का श्रृंगार धराया जायेगा.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : आशावरी)


माई मेरो श्याम लग्यो संग डोले l

जहीं जहीं जाऊं तहीं सुनी सजनी बिनाहि बुलाये बोले ll 1 ll

कहा करो ये लोभी नैना बस कीने बिन मोले l

‘हित हरिवंश’ जानि हितकी गति हसि घुंघटपट खोले ll 2 ll


साज – श्रीजी में आज लाल रंग की सुरमा सितारा के कशीदे के ज़रदोज़ी के काम वाली एवं हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज लाल साटन पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. पटका केसरी मलमल का धराया जाता हैं. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.हरे मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर गोल पाग के ऊपर सिरपैंच और गोल चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में कर्णफूल की एक जोड़ी धरायी जाती हैं. श्रीकंठ में पिले पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, फ़िरोज़ा के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट लाल व गोटी चाँदी की आती है.

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