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व्रज - श्रावण शुक्ल द्वितीया

व्रज - श्रावण शुक्ल द्वितीया

Tuesday, 10 August 2021


फ़िरोज़ी रुपहली किनारी के धोरा के सुथन, फेंटा और पटका के शृंगार


आज प्रभु को फ़िरोज़ी वस्त्र रुपहली किनारी के धोरा के धराये जायेंगे.


श्रीजी ने अपने सभी भक्तों को आश्रय दिया है, मान दिया है चाहे वो किसी भी जाति या धर्म से हो.

इसी भाव से आज ठाकुर जी अपनी अनन्य मुस्लिम भक्त ताज़बीबी की भावना से सूथन-पटका का श्रृंगार धराते हैं. यह श्रृंगार ताज़बीबी की विनती पर सर्वप्रथम भक्तकामना पूरक श्री गुसांईजी ने धराया था.


ताज़बीबी की ओर से यह श्रृंगार वर्ष में लगभग छह बार धराया जाता है यद्यपि इस श्रृंगार को धराने के दिन निश्चित नहीं हैं.


ताज़बीबी बादशाह अकबर की बेग़म, प्रभु की भक्त और श्री गुसांईजी की परम-भगवदीय सेवक थी. उन्होंने कई कीर्तनों की रचना भी की है और उनके सेव्य स्वरुप श्री ललितत्रिभंगी जी वर्तमान में गुजरात के पोरबंदर में श्री रणछोड़जी की हवेली में विराजित हैं.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : तोडी)


देख गजबाज़ आज वृजराज बिराजत गोपनके शीरताज ।

देस देस ते खटदरसन आवत मनवा छीत कूल पावत

किरत अपरंपार ऊंचे चढ़े दान जहाज़ ।।१।।

सुरभि तिल पर्वत अर्ब खर्ब कंचन मनी दीने, सो सुत हित के काज ।

हरि नारायण श्यामदास के प्रभु को नाम कर्म करावन,

महेर मुदित मन बंधि है धर्म की पाज ।।२।।


साज - श्रीजी में आज फ़िरोज़ी रंग की मलमल पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी की धोरेवाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी और तकिया के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है और चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल जड़ी होती है.


वस्त्र - श्रीजी को आज फ़िरोज़ी रंग के धोरा का सुथन और राजशाही पटका धराया जाता है. दोनों वस्त्र सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के होते हैं.


शृंगार - ठाकुरजी को आज मध्य का (घुटने तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. सर्व आभरण गुलाबी मीना के छेड़ान के धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर फ़िरोज़ी फेंटा का साज धराया जाता है जिसमें फ़िरोज़ी रंग के फेंटा के ऊपर सिरपैंच, बीच की चंद्रिका, कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.

श्रीकर्ण में लोलकबंदी लड़ वाले कर्णफूल धराये जाते हैं.

कमल माला धरायी जाती है.

श्वेत एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में एक कमल की कमलछड़ी, गुलाबी मीना के वेणुजी और दो वेत्रजी(एक सोना का) धराये जाते हैं.

पट फ़िरोज़ी रंग का व गोटी बाघ-बकरी की आती है.

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