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व्रज – अधिक श्रावण कृष्ण चतुर्थीं

व्रज – अधिक श्रावण कृष्ण चतुर्थीं

Saturday, 05 August 2023

आज के शृंगार

नंदमहोत्सव के शृंगार

अधिक मास के आज के मनोरथ-

राजभोग में नंदमहोत्सव

शाम को बगीचा में हिंडोरा

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : आसावरी)

धन्य यशोदा भाग तिहारो जिन ऐसो सुत जायो हो l

जाके दरस परस सुख उपजत कुलको तिमिर नसायो हो ll 1 ll

विप्र सुजन चारन बंदीजन सबै नंदगृह आये हो l

नौतन सुभग हरद दूब दधि हरषित सीस बरसाये हो ll 2 ll

गर्ग निरुप किये सुभ लच्छन अवगत है अविनासी l

‘सूरदास’ प्रभुको जस सुनिकै आनंदे व्रजवासी ll 3 ll

साज – आज श्रीजी में श्री ठाकुरजी को पलना झुलाते नंद-यशोदा जी, नंदोत्सव एवं छठी पूजन के सुन्दर कलात्मक चित्रांकन की पिछवाई धरायी जाती है. गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज केसरी मलमल का रुपहली किनारी से सुसज्जित पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के होते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज वनमाला (चरणारविन्द तक) का श्रृंगार धराया जाता है. हीरे, मोती, माणक, पन्ना के मिल्मा आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर रुपहली किनारी से सुसज्जित केसरी मलमल की कुल्हे के ऊपर सिरपैंच, पांच मोरपंख की चन्द्रिका की जोड़ एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं. हीरा की चोटी (शिखा) धरायी जाती है.

कली, कस्तूरी आदि सब माला धरायी जाती है. पीले एवं श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में एक कमल की कमलछड़ी, हीरा की वेणुजी एवं दो (एक सोना का) वेत्रजी धराये जाते हैं.


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पट केसरी व गोटी जडाऊ की आती हैं.

 
 
 

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