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व्रज - अधिक श्रावण कृष्ण द्वादशी

व्रज - अधिक श्रावण कृष्ण द्वादशी

Sunday, 13 August 2023

लाल पीली चुंदड़ी का का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर ग्वाल पगा पर पगा चन्द्रिका के श्रृंगार

आज के मनोरथ-

प्रातः चीर हरण

शाम को कमल तलाई

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : सारंग)

करत जल केलि पिय प्यारी भुज मेलि l

छुटत फूहारे भारी उज्जवल हो दस बारे अत्तरही सुगंधि रेलि ll 1 ll

निरख व्रजनारी कहा कहौ छबि वारी सखा सहत सहेलि l

राधा-गोविंद जल मध्य क्रीड़त ख्याल वृंदावन सखी सब टहेलि ll 2 ll

साज - श्रीजी में आज लाल एवं पीले रंग की चूंदड़ी की रुपहली ज़री के हांशिया (किनारी) से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया के ऊपर मेघश्याम मखमल बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.

वस्त्र – श्रीजी में आज लाल एवं पीले रंग की चूंदड़ी का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र फ़िरोज़ी रंग के होते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज छेड़ान का श्रृंगार धराया जाता है. हरे मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर ग्वालपाग (पगा) के ऊपर मोती की लड़, सुनहरी चमक (जमाव) की चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में लोलकबिंदी (लड़ वाले) कर्णफूल धराये जाते हैं.

श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी व कमल के पुष्प की मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में एक कमल की कमलछड़ी, लहरियाँ के वेणुजी एवं दो (एक सोना का) वेत्रजी धराये जाते हैं.


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पट पीला व गोटी बाघ बकरी की आती हैं.

 
 
 

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