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व्रज -अधिक श्रावण शुक्ल त्रयोदशी

व्रज -अधिक श्रावण शुक्ल त्रयोदशी

Monday, 31 July 2023

भोपालशाही लहरियाँ का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर दुमाला पर कल्गा (भीमसेनी क़तरा) के श्रृंगार

आज के मनोरथ-

राजभोग में फल फूल का बंगला

शाम को द्वादश निकुंज, यह बड़भागी मोर देखो माई

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : सारंग)

यहां अब काहेको दान देख्यो न सुन्यो कहुं कान ।

एैसे ओट पाऊठि आओ मोहन जु दूध दहीं लीयो चाहे मेरे जान ।।१।।

खिरक दुहाय गोरस लिये जात अपने भवन तापर एैसी ठानी आनकी आन ।

गोविंद प्रभुको कहेत व्रजसुंदरी चलो रानी जसोदा आगे नातर सुधे देहो जान ।।२।।

साज – श्रीजी में आज भोपालशाही लहरियाँ की पिछवाई धरायी जाती है. गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है. स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज भोपालशाही लहरियाँ का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के होते हैं.

श्रृंगार – आज प्रभु को मध्य का (घुटनों तक) श्रृंगार धराया जाता है. हरे मीना के आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर भोपालशाही लहरियाँ के दुमाला के ऊपर सिरपैंच, कल्गा (भीमसेनी कतरा) एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में लोलकबिंदी धराये जाते हैं.

आज कमल एवं कली की मालाजी धरायी जाती हैं.

श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं. श्रीहस्त में कमलछड़ी, झीने लहरियाँ के वेणुजी एवं दो वेत्रजी (एक सोना का) धराये जाते हैं.


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पट केसरी व गोटी बाघ-बकरी की आती है.

 
 
 

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