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व्रज -अधिक श्रावण शुक्ल द्वादशी

व्रज -अधिक श्रावण शुक्ल द्वादशी

Sunday, 30 July 2023

पीली घटा

पीले धोती पटका एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर सेहरा के शृंगार

राजभोग में काच का बंगला

शाम को चँवरी का मनोरथ

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : मल्हार)

आज बने गिरिधारी दूलहे,

चंदन की तन खोर करें ।।

सकल सिंगार बने मोतीनके,

बिविध कुसुम की माला गरें ।।१।।

खासा को कटि बन्यो पिछोरा,

मोतीन सहेरो शीश धरें ।।

राते नयन बंक अनियारे,

चंचल खंजन मान हरें ।।२।।

ठाडे कमल फिराजत,

गावत कुंडल श्रमकण बिंदु परें ।।

सूरदास मदन मोहन मिल,

राधासों रति केलि करें ।।३।।

साज – श्रीजी में आज पीले मलमल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर पीली बिछावट की जाती है.

वस्त्र – आज श्रीजी को पीले मलमल की धोती एवं राजशाही पटका धराया गया है. ठाड़े वस्त्र भी पीले रंग के धराये जाते हैं.

श्रृंगार - प्रभु को आज वनमाला का भारी श्रृंगार धराया जाता है.

सोना के सर्वआभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर पीले रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सोना का सेहरा, बायीं ओर शीशफूल एवं दायीं ओर सोना की चोटी धरायी जाती है.

श्रीकर्ण में सोना के मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.

पीले पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी एवम् कमल माला धरायी जाती हैं.


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श्रीहस्त में स्वर्ण के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं. पट पीला व गोटी सोने की आती है.

 
 
 

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