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व्रज - अश्विन कृष्ण तृतीया

व्रज - अश्विन कृष्ण तृतीया

Wednesday, 10 September 2025


लाल मलमल के धोती-पटका एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर रेशम के दोहरा क़तरा के शृंगार


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


ढाडोई यमुनाघाट देखोई ।

कहा भयो घर गोरस बाढयो और गोधन के घाट ।।१।।

जातपांत कुलको न बड़ो रे चले जाहु किन वाट ।

परमानंद प्रभु रूप ठगोरी लागत न पलक कपाट ।।२।।


साज – आज श्रीजी में लाल रंग की मलमल पर रुपहली ज़री की तुईलैस के हांशिया (किनारी) वाली पिछवाई धरायी है. गादी, तकिया और चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की गईं है.


वस्त्र – श्रीजी को आज लाल मलमल की धोती एवं पटका धराया है. दोनों वस्त्र रूपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित हैं. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया है. मोती के सर्व-आभरण धराये हैं.

श्रीमस्तक पर लाल रंग की गोल पाग के ऊपर लूम, दोहरा क़तरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये हैं. श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये हैं.

श्वेत एवं पीले पुष्पों की चार मालाजी धरायी हैं.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं वेत्र धराये जाते हैं.


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पट लाल एवं गोटी मीना की आती हैं.

 
 
 

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