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व्रज – आश्विन कृष्ण अमावस्या

व्रज – आश्विन कृष्ण अमावस्या

Saturday, 14 October 2023

अहो विधना तोपै अँचरा पसार माँगू, जनम-जनम दिजौ याहि बृज बसिबौ।

अहिर की जात समीप नन्दघर, घरि-घरि घनस्याम सौं हेरि -हेरि हसिबौ॥

दधि के दान मिष बृजकी बिथीन माँझ झकझौरन अँग-अँगकौ परसिबौ।

छीतस्वामी गिरधारी विठ्ठलेश वपुघारी,सरदरैंन माँझ रस रास कौ बिलसिबौ॥

सर्वपितृ अमावस्या, कोट की आरती, सांझी की समाप्ति

विशेष – आज सर्वपितृ अमावस्या है. पुष्टिमार्ग में आज दानलीला का अंतिम दिन है और इस कारण श्रीजी में आज श्री हरिरायजी कृत बड़ी दानलीला गायी जाती है.

आज श्रृंगार दर्शन में जब प्रभु को आरसी दिखावें तब स्वरुप से भी लम्बी एक लकुटी (छड़ी) प्रभु के निकट धरी जाती है जिसका भाव यह है कि भारी श्रृंगार के रहते प्रभु उछल के मटकी नहीं फोड़ पाएंगे अतः लम्बी लकुटी (छड़ी) पास में होगी होगी तो खड़े-खड़े ही प्रभु मटकी फोड़ देंगे. दान के दिनों में जब भी वनमाला का भारी श्रृंगार धरा जावे तब यह छड़ी श्रीजी के निकट धरी जाती है.

आज प्रभु द्वारा दूधघर का महादान अंगीकार किया जाता है.

गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में आज श्रीजी को शाकघर और दूधघर में विशेष रूप से सिद्ध किये गये दूध, दही, केशरिया दही, श्रीखंड, केशरी बासोंदी, मलाई बासोंदी, गुलाब-जामुन, छाछ, खट्टा-मीठा दही के बटेरा आदि अरोगाये जाते हैं.

दान के अन्य दिनों के अपेक्षा आज प्रभु को दूधघर की कई गुना अधिक हांडियां अरोगायी जाती है.

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : सारंग)

दान निवेरी लाल घर आये l

आरती करत नंदजु की रानी और हँसी हँसी मंगल गीत गवाये ll 1 ll

ऐसे वचन सुने में श्रवणन बड़े महरि के पुत कहावे l

फिर फिर राय बात हँसि बूझत हमको कहौ कहा तुम लाये ll 2 ll

लाऊ कहा सुनों किन में छीन छीन सबकी दधि खाये l

‘श्रीविट्ठल गिरिधरलालने’ बातन ही दोऊ बौराये ll 3 ll

साज – आज श्रीजी में श्याम रंग की मलमल पर सुनहरी सूरजमुखी के फूल के छापा और सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज कोयली रंग की मलमल पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, काछनी एवं रास-पटका धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र सफेद जमदानी के होते हैं.

श्रृंगार – आज प्रभु को वनमाला (चरणारविन्द तक) का भारी श्रृंगार धराया जाता है. जड़ाव सोने के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर नीलम जड़ित स्वर्ण का मुकुट और मुकुट पर मुकुट पिताम्बर एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं.

कस्तूरी कली एवं कमल माला धराई जाती हैं.

पीले एवं श्वेत पुष्पों की कलात्मक थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, सोने के वेणुजी दो वेत्रजी धराये जाते हैं.


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पट स्याम व गोटी दान की आती है.

 
 
 

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