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व्रज – आश्विन कृष्ण चतुर्दशी

व्रज – आश्विन कृष्ण चतुर्दशी

Tuesday, 05 October 2021


ऋतु का छेला (अंतिम) पिछोड़ा का शृंगार


जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.


ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को इस रितु का छेला (अंतिम) पचरंगा लहरियाँ का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग और गोल चंद्रिका का श्रृंगार धराया जायेगा.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


कृपा अवलोकन दान देरी महादान वृखभान दुल्हारी ।

तृषित लोचन चकोर मेरे तू व बदन इन्दु किरण पान देरी ॥१॥

सबविध सुघर सुजान सुन्दर सुनहि बिनती कानदेरी ।

गोविन्द प्रभु पिय चरण परस कहे जाचक को तू मानदेरी ॥२॥


साज – श्रीजी में आज पचरंगी लहरियाँ की सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज पचरंगी लहरिया का सुनहरी पठानी किनारी से सुसज्जित पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जायेंगे.


श्रृंगार – श्रीजी को आज छोटा (कमर तक) का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्वआभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर पचरंगी गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, सुनहरी लूम तथा गोल चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.

सफेद एवं पीले पुष्पों की दो मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं दो वैत्रजी धराये जाते हैं.

पट लाल व गोटी चाँदी की आती है.

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