top of page
Search

व्रज – आश्विन कृष्ण त्रयोदशी

व्रज – आश्विन कृष्ण त्रयोदशी

Monday, 04 October 2021


नित्यलीलास्थ गौस्वामी बालकृष्णजी का उत्सव


विशेष – आज श्री गुसांईजी के तृतीय पुत्र बालकृष्णजी का उत्सव है.


उत्सव होने के कारण श्रीजी मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहरी (देहलीज) को हल्दी से लीपी जाती हैं एवं आशापाल की सूत की डोरी की वंदनमाल बाँधी जाती हैं.


श्रीजी को दान की हांडियों के अतिरिक्त गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में विशेष रूप से दूधघर में सिद्ध की गयी केसर युक्त बासोंदी की हांडी अरोगायी जाती है. राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता भोग लगाया जाता है.


श्री गुसांईजी के सभी सात पुत्रों के जन्मोत्सव सभी गृहों में मनाये जाते हैं परन्तु आपश्री तृतीय गृहाधीश्वर प्रभु श्री द्वारकाधीशजी के आचार्य थे अतः आज का उत्सव श्री द्वारकाधीश मंदिर (कांकरोली) में भव्य रूप से मनाया जाता है और इस अवसर पर वहां से जलेबी के टूक की सामग्री श्रीजी के भोग हेतु आती है.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


श्रीवल्लभ नंदन रूप अनूप स्वरुप कह्यो न जाई l

प्रकट परमानंद गोकुल बसत है सब जगत के सुखदाई ll 1 ll

भक्ति मुक्ति देत सबनको निजजनको कृपा प्रेम बरखत अधिकाई l

सुखद एक रसना कहां लो वरनो ‘गोविंद’ बलबल जाई ll 2 ll


साज – आज श्रीजी में केसरी रंग की मलमल पर लाल रंग की गायों, हरे रंग की लता के भरतकाम वाली एवं लाल रंग के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरण चौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज केसरी रंग की मलमल का रूपहरी किनारी से सुशोभित पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – श्रीजी को आज वनमाला (चरणारविन्द तक) का भारी श्रृंगार धराया जाता है. माणक तथा जड़ाव सोने के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर केसरी रंग की कुल्हे के ऊपर सिरपैंच, सुनहरी चमक का घेरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं. बायीं ओर मोती की चोटी (शिखा) धरायी जाती है.

श्वेत पुष्पों और कमल की थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में कमलछड़ी,माणक के वेणुजी और दो वेत्रजी (एक स्वर्ण का)धराये जाते हैं.

पट पिला एवं गोटी श्याम मीना की आती हैं. आरसी शृंगार में पिले खंड की एवं राजभोग में सोना की डाँडी की दिखाई जाती है.

ree

 
 
 

Comments


© 2020 by Pushti Saaj Shringar.

bottom of page