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व्रज – आश्विन कृष्ण दशमी

व्रज – आश्विन कृष्ण दशमी

Tuesday, 16 September 2025


हरे मलमल का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर ग्वाल पगा पर पगा चन्द्रिका के श्रृंगार


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


ग्वालिनी मीठी तेरी छाछि l

कहा दूध में मेलि जमायो साँची कहै किन वांछि ll 1 ll

और भांति चितैवो तेरौ भ्रौह चलत है आछि l

ऐसो टक झक कबहु न दैख्यो तू जो रही कछि काछि ll 2 ll

रहसि कान्ह कर कुचगति परसत तु जो परति है पाछि l

‘परमानंद’ गोपाल आलिंगी गोप वधू हरिनाछि ll 3 ll


साज - श्रीजी में आज हरे मलमल की रुपहली ज़री के हांशिया (किनारी) से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है.


वस्त्र – श्रीजी में आज हरे मलमल का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के होते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज छेड़ान का श्रृंगार धराया जाता है. माणक के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर हरे ग्वालपाग (पगा) के ऊपर मोती की लड़, सुनहरी चमक की पगा चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में लोलकबिंदी (लड़ वाले) कर्णफूल धराये जाते हैं.


रंग बिरंगे पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी व कमल के पुष्प की मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में एक कमल की कमलछड़ी, लाल मीना के वेणु वेत्रजी धराये जाते हैं.


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पट लाल व गोटी चाँदी की बाघ बकरी की आती हैं.

 
 
 

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