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व्रज – आश्विन कृष्ण द्वितीया (द्वितीय)

व्रज – आश्विन कृष्ण द्वितीया (द्वितीय)

Thursday, 24 September 2021


गुलाबी मलमल के धोती-पटका एवं श्रीमस्तक पर ग्वालपगा और पगा चंद्रिका (मोरशिखा) के श्रृंगार


जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.


ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को गुलाबी मलमल के धोती-पटका एवं श्रीमस्तक पर ग्वालपगा और पगा चंद्रिका (मोरशिखा) का शृंगार धराया जायेगा.


राजभोग दर्शन -


कीर्तन – (राग : सारंग)


ढाडोई यमुनाघाट देखोई ।

कहा भयो घर गोरस बाढयो और गोधन के घाट ।।१।।

जातपांत कुलको न बड़ो रे चले जाहु किन वाट ।

परमानंद प्रभु रूप ठगोरी लागत न पलक कपाट ।।२।।


साज – आज श्रीजी में गुलाबी रंग की मलमल पर रुपहली ज़री की तुईलैस के हांशिया (किनारी) वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज गुलाबी मलमल की धोती एवं राजशाही पटका धराया जाता है. दोनों वस्त्र सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के होते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. पन्ना के सर्व-आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग के ग्वालपगा के ऊपर सिरपैंच, लूम, पगा चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में हीरा की लोलकबिन्दी धराये जाते हैं.

श्वेत एवं पीले पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, श्याम मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट गुलाबी एवं गोटी बाघ-बकरी की आती हैं.

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