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व्रज – आश्विन कृष्ण प्रतिपदा

व्रज – आश्विन कृष्ण प्रतिपदा

Tuesday, 21 September 2021


श्याम पिला लहरिया का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग और गोल चंद्रिका के श्रृंगार


जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.


ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को श्याम पिला लहरिया का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग और गोल चंद्रिका का श्रृंगार धराया जायेगा.


राजभोग दर्शन -


कीर्तन – (राग : सारंग)


यहाँ अब काहे को दान देख्यो न सुन्यो कहुं कान l

ऐसे ओट पाऊ उठि आओ मोहनजु दूध दही लीयो चाहे मेरे जान ll 1 ll

खिरक दुहाय गोरस लिए जात अपने भवन तापर ईन ऐसी ठानी आनकी आन l

‘गोविंद’ प्रभु सो कहेत व्रजसुंदरी, चलो रानी जसोदा आगे नातर सुधै देहो जान ll 2 ll


साज - श्रीजी में आज नाहरशाही श्याम पिला लहरियाँ की रुपहली ज़री के हांशिया (किनारी) वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद रंग की बिछावट की जाती है.


वस्त्र – श्रीजी में आज नाहरशाही लहरियाँ श्याम पिला के पिछोड़ा और श्रीमस्तक पर छ्ज्जेदार पाग धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र अमरसी रंग के होते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज छेड़ान (कमर तक) का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर श्याम पिला लहरियाँ की छ्ज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, गोल चंद्रिका तथा बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.

श्वेत पुष्पों की विविध रंगों की थागवाली चार मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, लहरियाँ के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट श्याम व गोटी चाँदी की आती हैं.

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