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व्रज – आश्विन कृष्ण षष्ठी

व्रज – आश्विन कृष्ण षष्ठी

Wednesday, 04 October 2023

लाल सफ़ेद लहरियाँ का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर ग्वाल पगा पर पगा चंद्रिका (मोरशिखा) के शृंगार

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : सारंग)

ग्वालिनी मीठी तेरी छाछि l

कहा दूध में मेलि जमायो साँची कहै किन वांछि ll 1 ll

और भांति चितैवो तेरौ भ्रौह चलत है आछि l

ऐसो टक झक कबहु न दैख्यो तू जो रही कछि काछि ll 2 ll

रहसि कान्ह कर कुचगति परसत तु जो परति है पाछि l

‘परमानंद’ गोपाल आलिंगी गोप वधू हरिनाछि ll 3 ll

साज – श्रीजी में आज लाल सफ़ेद लहरियाँ की सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी है. गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर मखमल मढ़ी हुई है.

वस्त्र – श्रीजी को आज लाल सफ़ेद लहरियाँ का रूपहरी किनारी का पिछोड़ा धराया है. ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज छेड़ान का श्रृंगार धराया है. फ़िरोज़ा के के सर्व आभरण हैं.

श्रीमस्तक पर लाल सफ़ेद लहरियाँ के ग्वालपाग (पगा) के ऊपर मोती की लड़, सुनहरी चमक की चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये हैं.

श्रीकर्ण में लोलकबंदी (लड़ वाले कर्णफूल) धराये हैं.

श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी व कमल के पुष्प की मालाजी धरायी हैं.

श्रीहस्त में एक कमल की कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं दो (एक सोना का) वेत्रजी धराये जाते हैं.


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पट लाल रंग का व गोटी चाँदी की बाघ बकरी की आती हैं.

 
 
 

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