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व्रज – आश्विन कृष्ण सप्तमी

व्रज – आश्विन कृष्ण सप्तमी

Thursday, 05 October 2023

केसरी मलमल का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर क़तरा के श्रृंगार

राजभोग दर्शन -

कीर्तन – (राग : सारंग)

ग्वालिनी मीठी तेरी छाछि l

कहा दूध में मेलि जमायो साँची कहै किन वांछि ll 1 ll

और भांति चितैवो तेरौ भ्रौह चलत है आछि l

ऐसो टक झक कबहु न दैख्यो तू जो रही कछि काछि ll 2 ll

रहसि कान्ह कर कुचगति परसत तु जो परति है पाछि l

‘परमानंद’ गोपाल आलिंगी गोप वधू हरिनाछि ll 3 ll

साज - श्रीजी में आज केसरी मलमल की सुनहरी ज़री के हांशिया (किनारी) वाली पिछवाई धरायी है. गादी, तकिया सफेद एवं चरणचौकी पर सफ़ेद रंग की बिछावट की गई है.

वस्त्र – श्रीजी में आज केसरी मलमल का पिछोड़ा और श्रीमस्तक पर गोल पाग धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के होते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को हल्का श्रृंगार धराया जाता है. माणक के सर्व आभरण धराये हैं.

श्रीमस्तक पर केसरी रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, क़तरा तथा बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये हैं.

आज पुष्पों की विविध रंगों की थागवाली चार मालाजी धरायी है.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.


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पट केसरी व गोटी चाँदी की आती हैं.

 
 
 

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