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व्रज – आश्विन शुक्ल द्वादशी

व्रज – आश्विन शुक्ल द्वादशी

Sunday, 17 October 2021


दीपावली के आगम के श्रृंगार आरम्भ


(प्रथम कार्तिक कृष्ण दशमी का आगम का श्रृंगार)


सभी बड़े उत्सवों के पहले उस श्रृंगार के आगम के श्रृंगार धराये जाते हैं.

आगम का अर्थ उत्सव के आगमन के आभास से है कि प्रभु के उत्सव की अनुभूति मन में जागृत हो जाए कि उत्सव आने वाला है और हम उसकी तैयारी आरंभ कर दें.


आज से दीपावली के उत्सव के आगम के श्रृंगार आरम्भ होते हैं.

इसी श्रृंखला में पहला आगम का श्रृंगार कार्तिक कृष्ण दशमी का आज श्रीजी को धराया जाता है जिसमें श्वेत एवं सुनहरी ज़री से सुसज्जित साज, चिरा (ज़री की छज्जेदार पाग) एवं वस्त्र धराये जाते हैं और कर्णफूल का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.


लगभग यही वस्त्र व श्रृंगार दीपावली के पूर्व की दशमी को भी धराये जायेंगे.


इस श्रृंगार को धराये जाने का अलौकिक भाव भी जान लें.


आज से अन्नकूट तक अष्टसखियों के भाव से आठ विशिष्ट श्रृंगार धराये जाते हैं. जिस सखी का श्रृंगार हो उनकी अंतरंग सखी की ओर से ये श्रृंगार धराया जाता है. आज का श्रृंगार विशाखाजी का है और उनकी प्रिय सखी आच्छादिकाजी की ओर से किया जाता है.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


नागरी नागरसो मिल गावत रासमें सारंग राग जम्यो l

तान बंधान तीन मूर्छना देखत वैभव काम कम्यौ ll 1 ll

अद्भुत अवधि कहां लगी वरनौ मोहन मूरति वदन रम्यो l

भजि ‘कृष्णदास’ थक्ति नभ उडुपति गिरिधर कौतुक दर्प दम्यो ll 2 ll


साज – श्रीजी में आज सफेद रंग की मलमल की पिछवाई धरी जाती है जो कि सुनहरी सुरमा-सितारा के ज़रदोज़ी का काम तथा सुनहरी कशीदे की पुष्पलता से सुसज्जित है. गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज श्वेत रंग की कारचोव के दोहरी (रुपहली और सुनहरी) ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. पटका मलमल का धराया जाता हैं. ठाड़े वस्त्र गहरे लाल रंग के दरियाई के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – श्रीजी को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. पन्ना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.


श्रीमस्तक पर रुपहली ज़री के चिरा (छज्जेदार पाग) के ऊपर सिरपैंच, लूम की सुनहरी किलंगी एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में पन्ना के कर्णफूल धराये जाते हैं.

आज चार मालाजी धराई जाती हैं.

श्वेत एवं पीले पुष्पों की विविध रंगों की थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट श्वेत गोटी छोटी सोने की आती हैं.

आरसी शृंगार में सोने की छोटी एवं राजभोग में बटदार दिखाई जाती हैं.



अनोसर में चिरा (छज्जेदार पाग) बड़ी करके गोल पाग धराई जाती हैं.

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