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व्रज – आषाढ़ कृष्ण दशमी

व्रज – आषाढ़ कृष्ण दशमी

Thursday, 23 June 2022

श्वेत मलमल की धोती एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर श्वेत चंद्रिका के शृंगार

उत्थापन दर्शन पश्चात मोगरे की कली के श्रृंगार

जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को श्वेत मलमल की धोती एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर श्वेत चंद्रिका का श्रृंगार धराया जायेगा.

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : सारंग)

आज धरी गिरधर पिय धोती

अति झीनी अरगजा भीनी पीतांबर घन दामिनी जोती ll 1 ll

टेढ़ी पाग भृकुटी छबि राजत श्याम अंग अद्भुत छबि छाई l

मुक्तामाल फूली वनराई, 'परमानंद' प्रभु सब सुखदाई ll 2 ll

साज – आज श्रीजी में श्वेत रंग की (Net) जाली में फूल बेल एवं जल में तेरते हुए हँसो की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – आज श्रीजी को श्वेत रंग की मलमल की धोती धरायी जाती है. आज धोती के साथ पटका नहीं धराया जाता हैं.

श्रृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर श्वेत रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, श्वेत चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में मोती के एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.

श्वेत एवं पीले पुष्पों की दो सुन्दर कलात्मक मालाजी धरायी जाती हैं. श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, चाँदी के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट ऊष्णकाल का एवं गोटी हक़ीक की छोटी आती है.


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