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व्रज – आषाढ़ कृष्ण नवमी

व्रज – आषाढ़ कृष्ण नवमी

Friday, 20 June 2025


गुलाबी मलमल पर नीले छापा की परधनी एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर बांकी गोल चंद्रिका के श्रृंगार


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


सोहत लाल के परदनी अति झीनी।।

तापर एक अधिक छबि उपजत जलसुत पांति बनी कटी छीनी।।1।।

उज्जवल पाग श्याम शिर शोभित अलकावली मधुप मधुपीनी।।

‘कुंभनदास' प्रभु गोवरधनधर चपल नयन युवतीन बस कीनी।।2।।


साज - आज श्रीजी में मलमल की चित्राम की पिछवाई है.


वस्त्र – आज श्रीजी को गुलाबी मलमल पर नीले छापा की रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित परधनी धरायी जाती है.


श्रृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है.

मोती के आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर गुलाबी मलमल पर नीले छापा की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, बांकी गोल चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.

श्वेत पुष्पों की कलात्मक थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं वहीँ एक श्वेत एवं एक कमल के पुष्पों की माला हमेल की भांति धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, झीने लहरियाँ के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.


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पट ऊष्णकाल का व गोटी छोटी हकीक की आती है.

 
 
 

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